Yoga : Types and Benefits In Hindi - योग के प्रकार और फायदे - Live in Zeal

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Yoga : Types and Benefits In Hindi - योग के प्रकार और फायदे

Yoga : Types and Benefits In Hindi - योग के प्रकार और फायदे

योग (YOGA) - सिर्फ नाम नहीं : पूर्ण जीवनसार है

अपने इस लेख को मैं एक वाक्य के साथ शुरू करना चाहूंगा जो कि इस पूरे लेख का सार है। "योग सिर्फ एक क्रिया या आसन का नाम नहीं है, यह वो आईना है जिसके ज़रिये हम अपने अंतर्मन को देख पाते हैं।" मनुष्य को अपने जीवन में सकारात्मक (positive) होना बहुत ज़रूरी है क्योंकि positive रहकर ही वह अपने हर लक्ष्य में सफलता हासिल कर सकता है। योग करने से हमारे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा (positive vibes) का प्रसार होता है जिससे आप न केवल आत्मिक रूप से मज़बूत होते हैं बल्कि यह आपके व्यक्तित्व को भी निखारता है। Live In Zeal के Yoga : Types and Benefits In Hindi (योग के प्रकार और फायदे) ब्लॉग में आज का मेरा यह लेख इसी बारे में है कि हम अपने आप को कैसा देखना चाहते हैं, यहाँ मेरा मतलब सिर्फ अच्छा दिखने, संतुलित आहार लेने या शारीरिक व्यायाम से नहीं बल्कि इन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण - योग और उससे होने वाले फायदों से है।

Yoga : Types and Benefits In Hindi - योग के प्रकार और फायदे
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योग और मेडिटेशन (ध्यान) दोनों का ही अपना महत्त्व है। जहाँ योग करने से आपका शरीर संतुलित और रोगमुक्त रहता है, वहीं मेडिटेशन से आप अपने अंदर छुपी बहुमुखी प्रतिभाओं को समझ पाते हैं। यह आपको भूतकाल और भविष्य की चिंताओं से हटाकर आपको वर्तमान में जीने की कला सिखाता है। आपके मन को स्थिर करता है जिससे आप खुद को शारीरिक और आत्मिक रूप से मज़बूत महसूस करते हैं। तो आइये इस विषय को विस्तार से समझने का प्रयत्न करते हैं।

योग का क्या अर्थ है ? (What is Yoga in Hindi)

योग: एक संस्कृत का शब्द है जिसका हिंदी में अर्थ होता है जोड़ अर्थात किसी वस्तु या तत्व को एक साथ जोड़ना। ये आप सब जानते हैं कि इस संसार में अगर सबसे चंचल कुछ है तो वो है आपका मन (चित्त), जिसे स्थिर रखना हर किसी के वश में नहीं है कुछ विरले मनुष्य ही अपने अथक प्रयासों के बाद ही इसमें सफल हो पाते हैं।

What is Yoga Asanas
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योग को आप एक प्रकार की आध्यात्मिक प्रक्रिया भी कह सकते हैं जिसके ज़रिये हम अपने शरीर, मन और आत्मा को एक स्थिर अवस्था में लाने का प्रयास करते हैं। "महर्षि पतंजलि" के अनुसार जिन्हे योग का जनक भी माना गया है, मानव का अपने मन की वृत्तियों कोचंचल होने से रोकने का नाम ही योग है।

योग के कितने प्रकार हैं ? (Types of  Yoga in Hindi)

हमारे शास्त्रों में पाए गए लेखों के अनुसार योग के 6 प्रकार होते हैं।
  • कर्म योग
  • हठ योग
  • राज योग
  • ज्ञान योग
  • भक्ति योग
  • तंत्र योग


योग की कितने अंग हैं ? (Limbs of Yoga in Hindi)


Chart of 8 Limbs of Yoga
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महर्षि पतंजलि ने योग को 8 मुख्य अवस्थाओं में बांटा है, जिन्हे हम अष्टांग योग के नाम से भी जानते हैं।

यम: इसमें व्यक्ति को सत्य एवं अहिंसा का पालन करना, किसी प्रकार का गलत कार्य जैसे चोरी इत्यादि ना करना, ब्रह्मचर्य का पालन करना आदि के बारे में बताया गया है। 

नियम: इसमें मनुष्य का तप करना, ईश्वर की आराधना करना, स्वाध्याय एवं संतोष धारण करना शामिल हैं।   

आसन:  संस्कृत के एक शब्द "स्थिरसुखमासनम" के द्वारा हम इसे आसानी से समझ सकते हैं। "स्थिरसुखमासनम" अर्थात किसी एक स्थान पर स्थिर अवस्था में बैठकर सुख की अनुभूति करना आसन कहलाता है। 

प्राणायाम: सरल भाषा में समझे तो प्राणायाम दो शब्दों से मिलकर बना है प्राण + आयाम, जिसमें  प्राण का अर्थ है - श्वास और आयाम का अर्थ है विस्तार। 

A Men doing Pranayama Asanas
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यानि कि ऐसा आसान जिसे करने से मनुष्य के शरीर में प्राणों का विस्तार होता है। इसे करने से हमारे मन और मस्तिष्क में आने वाले दुर्विचारों का अंत होता है और हमारे शरीर में प्राण शक्ति का प्रवाह तेज़ होता है। 

प्रत्याहार: प्रत्याहार भी प्राणायाम की तरह दो शब्दों प्रति+आहार से मिलकर बना है। योग में प्रति का अर्थ है विपरीत और आहार से मतलब है हमारी इन्द्रियों के विषय। अब ऐसे सरल भाषा में समझते हैं - हमारा मन चंचल है और यह इन्द्रियों के वशीभूत होकर यहाँ - वहाँ भटकता रहता है। लेकिन जब हम योग के माध्यम से अपने मन और इन्द्रियों को एकाग्र करते हैं तो एहि प्रक्रिया प्रत्याहार कहलाती है। 

धारणा: यह अष्टांग योग की छठी अवस्था है, धारणा का शाब्दिक अर्थ है धारण करना अर्थात जीवन में लाना या ग्रहण करना। अपने मन को बाहरी विचारों से हटाकर किसी एक बिंदु पर केंद्रित रखना ही धारणा कहलाता है।
 
ध्यान: योग में ध्यान से तात्पर्य सिर्फ अपनी आँखें बंद करके बैठने से नहीं है, बल्कि ध्यान तो अपनी अनावश्यक कल्पनाओं और विचारों को मन से हटाकर शुद्ध और निर्मल मौन में प्रवेश करना है। 

समाधि:  यह अष्टांग योग की अंतिम एवं सबसे दुर्लभ अवस्था है, जब कोई योगी ध्यान का अभ्यास करते हुए ऐसी स्थिति में पहुँच जाता है जहाँ उसे स्वयं अपना ही ज्ञान नहीं रहता और सिर्फ एक ध्येय मात्र रह जाता है - योग की उस अवस्था को समाधि कहते हैं। 

Samadhi : A Limb of Yoga
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समाधि की अवस्था में योगी की सभी इन्द्रियां उसके मन में लीन हो जाती हैं और वह स्पर्श, गंध, रस, रूप एवं शब्द इन 5 विषयों की इच्छा नहीं रहती। इस अवस्था में साधक को सर्दी-गर्मी, भूख-प्यास, सुख-दु:ख एवं मान-अपमान आदि की कोई अनुभूति नहीं होती है। ऐसा साधक तेज़स्वी और शक्ति संपन्न बनकर अमरता को प्राप्त करता है तथा जन्म-मरण के बंधन से सदा के लिए मुक्त हो जाता है।
 

योग के क्या फायदे हैं ? (Benefits of Yoga in Hindi)

अगर हम योग से होने वाले लाभों के बारे में बात करे तो इसके अनगिनत और असामान्य लाभ हैं। योग करने से मनुष्य को उसके गंभीर रोगों में भी आराम मिलता है। आइये जानते हैं योग से होने वाले कुछ ऐसे ही फायदों के बारे में।

सम्पूर्ण स्वास्थ्य लाभ: कोई भी व्यक्ति तभी पूर्णतया स्वस्थ माना जाता है जब वह ना केवल शरीर से बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी हष्टपुष्ट (स्वस्थ) हो। 

Yoga is Beneficial for Our Health
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श्री श्री रविशंकर के अनुसार "स्वास्थ्य का तात्पर्य किसी रोग के ना होने से नहीं है बल्कि यह आपके जीवन की वो गतिशीलता है जो दर्शाती है कि आप कितनी ख़ुशी, स्नेह और ऊर्ज़ा से ओतप्रोत हैं। 

चिंता से मुक्ति:  योग करने से हम शारीरक रूप से तो स्वस्थ रहते ही हैं और इसे करने से हमे मानसिक तनाव में भी लाभ मिलता है। प्राणायाम और ध्यान मानसिक तनाव और चिंता को दूर करने का सबसे कारगर तरीका है।

अंतर्मन की शांति: योग करने से हमे एक अलग तरह की आत्मिक शांति महसूस होती है, यह एक अद्भुत एहसास है जिसे शब्दों में बयां करना आसान नहीं है। पर यकीन मानिये इसके आगे आपको संसार के सभी ऐशो-आराम फीके लगने लगेंगे और आप पाएंगे कि वास्तविक सुख भौतिक संसाधनों में नहीं अपितु अंतर्मन की शांति में है जो स्थिर है। 

शारीरिक ऊर्ज़ा का प्रसार: आपको यह जानकार ज़रूर हैरानी होगी कि आप अपने दिन भर में जितने भी कार्य करते है चाहे शारीरिक या फिर मानसिक रूप से - उसमे हमारी जो ऊर्ज़ा प्रयोग होती है वह हमारी कुल ऊर्ज़ा का सिर्फ क्षण मात्र है। आपने कितने ही ऐसे महापुरुषों के बारे में पढ़ा होगा जो अपनी चमत्कारिक प्रतिभा के कारण विश्वभर में प्रसिद्ध हुए हैं जैसे स्वामी विवेकानन्द, रामकृष्ण परमहंस आदि। इन्होने योग और साधना के ज़रिये अपनी ऊर्ज़ा शक्ति को उस मुकाम तक पहुंचा दिया था जहाँ कोई भी कार्य इनके लिए असंभव नहीं था। 

शारीरिक रोगों से मुक्ति: योग करने से हमारे शरीर के बहुत से रोगों में भी आराम मिलता है जैसे: अस्थमा, डाइबिटीज़, श्वास सम्बन्धी रोग, मोटापा, ब्लड प्रेशर, माइग्रेन एवं इनके आलावा ऐसे बहुत से रोग हैं जिन्हे योग के माध्यम से ठीक किया जा सकता है।   

मनुष्य को किसी भी कार्य में सफलता पाने के लिए उसकी सकारात्मक ऊर्ज़ा और मानसिक शक्ति की ज़रूरत होती है, जिसके बिना लक्ष्य में सफल होना असंभव है। योग हमें वही सकारात्मक ऊर्जा देता और मानसिक शक्ति प्रदान करता है जिसके द्वारा हम कठिन परिस्थिति में भी आसानी से अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेते हैं। 



"Live In Zeal के इस ब्लॉग के ज़रिये हम पूरी कोशिश करते हैं कि अपने पाठकों तक उपयोगी एवं रोचक लेख पहुँचा सकें और उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा ये लेख पसंद आये और आपके लिए फायदेमंद साबित हो। अपने पाठकों (readers) से request करता हूँ कि आप इस कंटेंट के बारे में अपनी राय ज़रूर दें।

धन्यवाद !

2 comments:

  1. Blog language is so easy to understand. Very good

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  2. Awesome Post dear...
    Thanks for sharing, its so inspirable.

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